भीषण शीतलहर में फसल को पाले से बचाने के लिए करें ये उपाय
इन दिनों उत्तर भारत में शीतलहर शुरू हो चुकी है, धीरे-धीरे यह देश के अन्य भागों में भी फैलेगी। यह शीतलहर किसानों के लिए तब एक समस्या बन जाती है जब इसकी वजह से फसलें प्रभावित होने लगती हैं। सर्दियों के मौसम में शीतलहर की वजह से फसलों में पाला लगना एक आम बात है। पाले की वजह से भारत में हर साल फसल की उत्पादकता घटती है। भीषण पाले के प्रभाव से फसलों तथा सब्जियों के फूल मुरझा जाते हैं और झड़ने लगते हैं। फूल झड़ने के कारण उनमें दाने नहीं पड़ पाते। फसल काली पड़ जाती है तथा पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखने लगता है। पाले की वजह से पौधे सड़ने से फसल में बैक्टीरिया जनित बीमारियों एवं अन्य कीटों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है, जो फसलों के लिए हानिकारक होता है। अगर पाले के प्रकोप की बात करें, तो फलदार पौधों में इसका प्रकोप ज्यादा देखा जा सकता है। पाले से बचने के लिए किसान को अनुमान लगाना होता है कि किस दिन पाला पड़ सकता है। अगर किसान ठीक अनुमान लगा लेता है, तो वह अपनी फसल की पाले से सुरक्षा कर सकता है।ये भी पढ़ें: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल
पाले से फसलों की सुरक्षा के उपाय
फसलों की सिंचाई करें
यदि किसान यह अनुमान लगा लेता है कि पाला पड़ने वाला है या मौसम विभाग ने पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है। ऐसे में फसल की हल्की सिंचाई बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सिंचाई से खेत का तापमान 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। ये उपाय करके पाले से फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।पाला पड़ने से पहले पौधों को ढकें
अगर पाले की बात करें, तो पाला सबसे ज्यादा नर्सरी के पौधों को प्रभावित करता है। ऐसे में नर्सरी के पौधों को पाले से बचाने के लिए प्लास्टिक की शीट, पुआल आदि से ढंक दें। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। जिसे पौधों के आस पास का तापमान जमाव बिन्दु से ऊपर बना रहता है और पौधों के ऊपर पाले का प्रकोप नहीं होता है। किसान भाई को पौधों को ढकते समय ये सावधानी रखनी चाहिए, कि जिस तरफ से सुबह की धूप आती हो उस तरफ से प्लास्टिक शीट को खुला रखें। जिससे सुबह की सीधी धूप पौधों के ऊपर पड़ेगी और तापमान में वृद्धि होगी।खेत के आस पास धुआं करें
खेत के आसपास धुआं करने से भी फसल को पाला लगने से बचाया जा सकता है। धुआं करने से फसल के आस पास का तापमान बढ़ जाता है, जिससे पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।रस्सी का उपयोग करें
रस्सी के उपयोग से भी पाले से बचा जा सकता है, इसके लिए 2 व्यक्ति भोर के समय रस्सी को उसके दोनों सिरों में पकडक़र खेत के एक कोने से दूसरे कोने तक फसल को हिलाते हैं। ऐसा करने से फसल में जमा ओस जमीन में गिर जाती है और फसल पाले के प्रकोप से सुरक्षित हो जाती है। यह कारगर उपाय है जिसे भारत में किसान अक्सर करते हैं ।प्रात: काल गुनगुने पानी का छिड़काव करें
पाले के प्रकोप से अपने नर्सरी के पौधों को बचाने के लिए हल्के गुनगुने पानी से छिड़काव भी किया आ सकता है। इस तकनीक का उपयोग करने से तापमान में वृद्धि होती है जिससे पाला लगने की संभावना बहुत हद तक कम हो जाती है।ये भी पढ़ें: सर्दियों के मौसम में डेयरी पशुओं का प्रबंधन
फसलों के आसपास वायुरोधी टाटिया लगाएं
नर्सरी के पौधों को पाले से बचाने के लिए पौधों के आसपास वायुरोधी टाटिया भी लगा सकते हैं। ऐसे में पौधों के आस पास ठंडी हवा का प्रवाह रुक जाएगा और फसल पाले से सुरक्षित रहेगी। इस टाटीयों को लगाते समय ध्यान रखें कि इन्हें हवा आने वाली दिशा की तरफ लगाएं तथा सुबह होते ही हटा दें, ताकि सूरज की धूप पौधों को मिल सके। ऊपर बताए गए उपाय किसानों की फसलों को बचाने के लिए बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। अगर किसान इन उपायों को अपनाते हैं, तो वो निश्चित ही अपनी फसल को पाले से सुरक्षित रख पाएंगे।
26-Dec-2022